Wednesday, 22 May 2013

हरयाणवी पहेलिया-2



101. चिडपडा पर गुड कोणी , लंबा स पर बांस कोणी , ज़िंदा स पर सांस कोणी , लड़ जावे पर सांप कोणी !

102. काला झोटा भाज्या आवे , नाशां में धुम्मा, काला चोथ बगावे!

103. गोसे मेरा खाना , काला मेरा बाना , कदे ना में लड्या , कदे ना में भिड्या, फेर भी बतावें हारा!

104. दो तोरी , मुंह तागा , खुल जावें तो, मेमने भागां  !


105. पहाड़ तें लयाऊँ, मोरी माँ के दे ज्याऊं !

106. उप्पर ने ठा मुंह बावे, गिंहू चने वो खावे , हाली का स वो भतीजा, सारा खेत उहने बिज्या !

107. दो पहियाँ का गाडा, एक घुमे एक ठाडा, फेर भी कहवें चाले , पर थां तें ना हाले |

108. एक मेन्हेस की तीन झोटी, कोए माड़ी कोए मोटी |

109. तीन डिब्ब्याँ की रेल, ना उह पे चाल्या जावे , पीवे मीठा तेल , छिक-छिक खोई खावे!

110. एक जानवर इस्सा देख्या, जिह की कड़ पे काठी , छोटी ऊह की पुन्झअड़ , टांग जणू हों लाठी , पायां में खुर नहीं , बिन पानी जी जा ठाठी  !

111. एक माँ की दो छोरी , एक ठाडी (खड़ी ), एक हंडोरी  !

112. एक काली ,लांबी झोटी , छह मिहने जोहड़ में लोटी , फेर कोहलू में ल्या जोती  !

113. मेरे बिना कलम ना चाले , ना कोए बांच सके पोथा , एक दिन में भी था ज़िंदा रूंख, सोचो ज़रा अगर में ना होता |

114. मेरे नाम में स दुक , पर में नि बन्दूक, ब्याहली मन्ने ले कें आवे , आपना धोरा मेरे में सजावें  !

115. उड़निया डांगर , सोवे बल मांगर (कमर )  !

116. आठ टांगआं के बीच में , गाडी रह्या खींच में , जुआ मेरे पे धरया नहीं, गाडी चले कुकर ,बेरा नहीं  !

117. चार टांग , दो हाथ , के तो बता, ना आड़े तें भाज,

118. चार बांह का बीजणा, बाल ना बगावे , मौसी नु सोचे , दिखाँ आपे टूट जावे

119. घुम्मे सारा गात मेरे तीन हाथ बाल तें करें बात  !

120. सारे कुन्बे की भूख मिटाऊं खुद खाली पेट सो जाऊं !

121. वो तो हे खाती , छिक-छिक पराती , तम उह की जात बताओ , गेल्याँ दो गवाह ल्याओ  !

122. एक गाँ इस्सी देखि , जो घूम -घूम के खावे | दूध घी की थां, चून दे जावे |

123. ना में बाहर , ना में भीतर , मेरे धोरे आ कें, माणस काढें लीत्तर!

124. में सूँ बारी , पर मझक कोन्या , में सूँ बारी , पर ओसरा कोन्या !

125. एक ने जगा बताई , दोयाँ ने राह बनाई , दोयाँ ने दी बिनाई , दसां ने मिल के ठाई, बतिसां ने करी रगड़ाई!

126.तीन आखर का मेरा नाम आगले दो तें हो ज्या " काम' पाछले दो तें हो ज्या "पाणी " ला कें सुथरी दीखे राणी  !

127. कट्ठी रोवें , कट्ठी सोवें , दोनु जुडवा बेटी, पर आज ताहि नि फेटि!

128. रोयें तें वो पंघल जा | ना रोवे तो उड़ जा | बाल की करे वो सवारी | इन्दर देव का स पुजारी |

129. बिन डोर का चरखा , ना काते वो सूत | चार पालने डुलावे , घुमावें दो भूत |

130. में हाथी में भी , में बारी में भी , में छिम्बी की दूकान में , देखूं ,अक आऊं तेरे बताण में !

131. हरी थी वा भरी थी, राजा जी के बाग में, दुशाळा औढै खड़ी थी|

132. दादा मुते , पोता नहावे , सारा रस कुवे में जावे |

133. दोयाँ ने कर ल्यूं बल में , कदे सुहागी में ,कदे हल में |

134. में सूं एक लाख , बल के हो जाऊं खाख  !

135. सर में पडूँ तो "जी ", खेत में पडूँ तो "राही", तेरे पे बुझी , तेरे दादा ने बताई |

136. एक पिन्दा, चालीस दांदे , मेरे बिना ना , खेत सुहान्दे !

137. घामे की बेटी , सुरजे की पोती , के तो बता दे ना तो, तेरी अक्कल खोटी  !

138. कागज़ का मेरा गात, आसमान तें करूँ बात , मेरी नकेल तेरे हाथ  !

139. इसा जानू हथोडा , पर लाकडी का घोड़ा , रगड़-रगड़ राब , ठाडा भर द्यूं चाख!

140. ना आण दयूं , ना जाण दयूं , धुर ताहि लखान दयूं !

141. लटकी जाऊं, लटकी आऊं, घेर में आण के, बोझ ठाऊँ  !

142. सोना भी , धतूरा भी, अर आऊं में खाण में , दिखाँ आऊं थारी पिछाण में !

143. गाडी उलाली आई काम , ना तो खूंटी पे दी टांग  !

144. खाती के ने घडी, छिम्बी ने पहराया सूंट, मनियार ने चढ़ाई चूड़ी, जाट ने ओढाया चुन्दड , बताओ या बहु किसकी ?

145. हर्या छोरा , हरी रजाई , खावें उहने , हरी गिजाई !

146. भूतां की राही , अम्बर में बिछाई  !

147. गेल ने वो लटके , उलालू में आवे काम , डहिया का छोटा भाई , बताओ उह का नाम ?

148. टोकरे की बेबे , पैर में पड़ी , जब भी बाल चाले , गडोंची प चड़ी !

149. ऊँचे टिल्ले बेठ्या , बणावे काजल श्याम , सो जा चादर ताण क, जब लिक्डावे घाम  !

150. मण का ,मण का सब कहवें , बोझ ना उह में सेर , कह तो तावाला बता दे, ना तेरी नहीं खेर!

151. हजार बारी का महल , छात पे धरया खजाना , राणी कहवे सिपाही ने , त्यार राखियो तोप खाना!

152. एक गाँठ का नाप , ठाले मानस आप , रंग स उह का धोला, रूप बदले बंजा चोला!

153. देखे तो स फूल , खावे तो सुवाद ना , ठावे ते बोझ ना , भीतर लिकड़े कांकडा, खोर में जा के सांपड्या !

154. नकोदर में बेठ्या , कानपुर में लात , मन्ने बेरा ना था , मेरे दादा ने बताई या बात!

155. लोह का बेटा , गोदी में बेठ्या , जा करे कोए घात, दूर तें मारे लात  !

156. लाल स मेरी चामडी, ग्यार में देई टेक , कोए आड़ी कोए बांगी, एक पे चढ़ी एक  !

157. जब भी उह ने बधावे , सासू का नाक तोड़ लायावे , बताओ के ?

158. दश सींग की गाँ, डून्घे डूबी जा , सब क्याएँ ने काढ ले, जो भी थ्या जा  !

159. रीती जावे, भरी आवे , सब की वा, तश बुझावे !

160. आठ पान्सली , एक बांस , जेली की बेबे, कुहाडिये की सास !

161. खाती के ने घडी , भींत में थी जड़ी , दादी की ले री घाघरी, दादा की ठा री पागडी!

162. आपणा कमा के खाऊं ना , दुसरे का छोड़ के जाऊं ना  !

163. पांच ताई भूरा , पचास ताहि काला , पचेतर ताहि धोला, फेर ना रंग का रोला!

164. पहले बिना ना दूजा , पहला टोहवे जा दुसरा खुजा , दोनु दुश्मन घणे कसुत , दूजा ठा जा जब , पहले की आवे सूत, बताओ दोनु कुण सें ?

165. उस चीज का नाँ बता , जो तू पहरे ,पर ना खरीदता , जो तू खरीदे ,पर ना पहरता , 166. जब मिंह आवे , बहार लिकड़ कें मुह बावे!

167. योद्धा सूं जंगे-मैदान में, प्रेमिकाओं का श्रृंगार सूं , जा लागूँ चक्सुओं के द्वार में, बताओ के ?

168. थोथा स गात मेरा , अर घा पड़े गंभीर , तेरे अधरां पे लाग जाऊं, तू सुर लिक्डें सुरील  !

169. अंगी बांगी लाकडी , गीत गंदी जावे , एक ओड तें भींच री, एक ओड तें मुंह बावे!

170. चुन्घनिया स एक , तडके सांझ गंडे पाडे चार , फेर भी कुछ ना मिले , रस काढ ले जा जमींदार!

171. लिली गाँ मन्ने कहवें, आऊं थारे खेत में रोज | उप्परली सत्त्रां में, मेरा नाँ ले खोज |

172. लाल तोते टांग लिए , लत्ते दिए तार | उहने देख कें लागे , जाणु आई स बहार |

173. छ : टांग का काटडू , उलटा दिया लटकाय, दीदे काढ़े झोटडी , गेल्याँ गाल फुलाय!

174. एक मोघे का छत्ता मेरा , दूसरी उह में ना सुहावे | जब भी में बाहर लिकडू, खून मेरी तश बुझावे !

175. जूंढी की बेटी , बाण की माँ | बल खाई लोटी , खाट के मांह |

176. घडी में बताऊँ घडी पाछे डूब जाऊं!

177. रेत का मंदिर , धोला भामन , कीड़ी बड गी , लागी रामभ्न !

178. ना मेर: पहिये , ना मेर : लात , घीषड- घीषड चालूँ, बल्धां की साथ , हल ने ठा ल्यूं , दोनु हाथ  !

179. घेट्टी में घेरा , ना कबूतर , ना बटेरा  !

180. वा जब आवे , ले कें जावे |

181. एक पहिये की रह्डुआ, ठोडे चक्कर खावे , कदे काप्पन्न,कदे बरोली, कदे कुल्हाँ काढ बगावे  !

182. वा-ए खोले , वा-ए मूंदे , वा ना हो तो, तू नुहाँ ने चुंडे!

183. एक सींग की गाँ, बाछ्डू चुन्घे जा खुला |

184. एक सासू दो बहु , दोनूं तारें लाली , सासू कहवे बहुआं ने, तम कसुती चाली  !

185. पहर -पहर मन्ने कहवें , पहरया में जाऊं ना , आठ घडी के बखत बिना, में दुसरा पहर आऊं ना  !

186. ना आर जावे , ना पार जावे , तू-अ देख : तन्ने-ए बतावे  !

187. एक बेटी इस्सी देखि , उह की माँ आधी ने रोज नुहावे, उप्पर तें कती गोरी चिम्के , तले तें काली रह जावे !

188. तडके-तड़क में तारी , दंदां गेल्याँ मेरी यारी , फेर भी दान्दा ने में मारी!

189. स्वर्ण सिंह की बेटी, करनपुर बियाही , देख-देख कें सारी, राजी होवें लुगाई !

190. 100 हाथ का गात , पाताल तें करूँ में बात  !

191. तीन आखर में बाँचो, काग की चोंच , हाथी को पाछो !

192. गंडे का भतीजा , चोमास्स्याँ में पसीजा  !

193. कणक की बेटी , पाणी में रलाई , अंगार पे सिंकाई, थाली में लेटी  !

194. एक धारी तलवार, पायां तले ली दाब , उह के काटे ने , खावें सब ,ले सुवाद!

195. लुहार के ने घडी, लुहारी आई बेच , के तो बता दे , ना तेरे नुहा ने, ल्युंगी खेंच  !

196. ना में हवा ने जाई, नाम मेरा हवाई  !

197. लोहे की बादली ,. घर-घर करदी जावे , आछे ने ले धर , भुंडे ने बरसावे  !

198. उह के पाँ देख के , दिल गया पसीज , उह के आंसू चुग के, बोये एंडयाँ के बीज !

199. पाणी की रेल , खिंची बल्धां की गेल!

200. एक बाप के दो बेटे, एक ठावे बोझ , दूजा लेवे मौज !

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