Tuesday, 21 May 2013

शर्म नीं आई

भुंडू अपणी घरआली धापली ती ल्याण खातर सुसराड चल्या गया | जद वो धापली ती लेके अपणी सुसराड तै चाल्लण लग्या तो उसकी सासु नैं जुहारी म्ह उस ताई दस रपिये दे दिए | घरां आयां पाच्छे भुंडू धापली गेल झगड़ा कारन लाग्या अर कई देर तेन झगड़ता रह्या | आखिर में धापली तंग होकै भुंडू ती पुच्छण लाग्यी, 'जी थाम मेरै गेल क्यान्तें झगड़ण लाग रह्ये सो?' भुंडू छोह मैं आगे बोल्या, "तेरी मां मैं शर्म कोणी आयी |" धापली ने पुच्छ्या, ""किस बात की शर्म?" भुंडू बोल्या, "मैं थाहरे घरां केले तो सो रापियाँ के लेके गया पर तेरी मां ने  जुहारी म्ह रपिये दे दिए |" धापली तपाक ती बोल्यी, "जी मन्ने न्यूं बताओ अक थाह्म ओड़े मन्ने लेण गए थे अक केले बेच्चण गए थे |"

No comments:

Post a Comment