हरयाणवी भाषा मुहावरे और लोकोक्तियां
ट, ठ
- टांग लम्बी धड छोटा वो ही आदमी खोटा
- ठाल्ली बैठे, नूण कै मांह हाथ
- ठाल्ली डूम ठिकाणा ढूंढ़ै....ठाल्ली नान काटङे मूनडे
- ठाढे की बहू सबकी दादी, माड़े की बहू सबकी भाभी (गरीब की जोरू सबकी भाभी)
ड, ढ
- डंडा सी पूंछ, भदाणी का राह (एकदम सीधा रास्ता)
- ढ़ेढ नै ढेढ गंगा जी के घाट पै टोह ले
- ढूंढ में गधा लखावै - जिसकी छोटी आँख हो
- ठाढा मारै ... रोवण दे ना, खाट खोस ले ... सोवण दे ना (Might Is Right, or The Survival of the Fittest)
त, थ
- तडके का मीह अर्र साँझ का बटेऊ टल्ल्या नही करते
- तन का उजला मन का काळा, बुगले जिसा भेस - इसां तैं तै भाई काग भला बाहर भीतर एक
- तीन पाव की 3 पोई, सवा सेर का एक । तन्नै पूत्ते 3 खाई, मन्नै चिन्दिया एक ।। (This one told by ladies)
- तीतर पांखी बादळी, दोफाहरे के पणिहार - खातिण चाल्ली इंधण नै, तीनूं नहीं भलार
- तेरे चीचड़ ना टूटैं म्हारे तैं (Means – “we are unable to serve you”)
- तेरे जामे होड़ तै इसै पाहया चालैंगे (means- Good for nothing)
- थोथा चना बाजे घना
द, ध
- दानी काल परखियो, गाय नै फागण-माह - बहू नै जिब परखियो जिब धाँस पल्लै ना (He who helps in need is great. A cow which gives an offsping in winter month, is best because it would lactate even in summer months. A woman is judged when you have no money)
- दांतले खसम का ना रोये का बेरा पाटै, ना हांसते का !
- दूसरे की थाळी में लाडू बड्डे ए दीख्या करैं
- दूसरे की सौड़ में सोवै, वो फद्दू कहावै
- दो पैसे की हांडी गई, कुत्ते की जात पिछाणी गई
- दुबली नै दो षाढ़--Sunitahooda 00:29, 3 February 2009 (EST)
- दो िदन की मुसलमानी अळलाह-अळलाह पुकाऱै
- दही के भुळामै कपास खा ज्ञाणा - To take some action without judging the underlying risk and danger.
- दुध आली की तो लात भी उट जाया करे
न
- नहर तले का अर्र सहर तले का मानस खतरनाक हो सै
- नई-नई मुसलमाननी अल्लाह-अल्लाह पुकारै
- न्यूं बावळा सा हांडै सै जणूं बिगड़े ब्याह में नाई
- नानी फंड करै, धेवता डंड भरै (someone does the mischief and punishment goes to someone else)
- नाइयों की बारात में सारे ठाकर हुक्का कौन भरै ?
- नाई-के-रै-नाई-के मेरे बाल कोड़ोड़ - जजमान, तेरै आगै-ए ना आ-ज्यांगे
- नीम पै तै निम्बोळी ए लागैंगी
प, फ
- पग पग पै बाजरा, मींडक कूदणी जवार - न्यूं बोवै जब कोए, घर का भरै भंडार (Related to agriculture)
- पत्थर का बाट - जितने बै तोलो, घाट-ए-घाट
- पकड़ण का ढ़ंग नहीं अर मारण की साई ले रहा !
- पानी में पादै, और बुलबुले ना ऊठैं !
- पाटडा चडतेहे रांड होगी
- पैंट की क्रीज खराब ना होण देता - और घर में मूस्से कुल्लाबात्ती करैं
- पुलिस के पीटे का आर चमस्सेय के रेह्पटे का के बुरा मानना
- पूत के पांव पालणे में ऐं दीख ज्याया करैं
- फूहड़ चालै सारा घऱ हालै
- पैसा नहीं पास मेला लगे उदास........
- फूहड़ के तीन काम हगे, समेटे अर गेरन जा..........
- फूफा कहे त कोए फुकनी ना दे ' अर काका कहे ते कोई काकडी ना दे.....
ब, भ
- बकरी दूध तै दे.. पर मींगण कर-कै
- बकरा अपनी जान तैं गया, खाण आळे नै स्वाद भी ना आया
- बटेऊ खांड-मांडे खा, कुतिया की जीभ जळै
- बढिया मिल गया तो म्हारी के भाग ना तो मरियो नाई बाह्मन (पुराने टेम मे नाई और ब्राह्मन ही रिश्ते करवते थे)
- बहू तै सुथरी सै, पर काणी सै ..औ
- बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई
- ब्याहली आंवते ही सासू मत बणिये !
- बोहड़िया का भाई, गाम का साळा
- बहू आई रीमो-झीमो, बहू आई स्याणी भोत - आवतीं-हें न्यारी हो-गी, पाथणे ना आवैं चौथ !
- ब्याह में गाये गीत सारे साची ना होते
- बाप नै ना मारी मींडकी, बेटा तीरंदाज
- बेर खावै गादड़ी, ड़ंडे खावै रीझ
- बांदरां के बीच में गुड़ की भेल्ली
- बावळा चालै तो चाल्या-ए जा
- बावला या तो गाम जावे ना, जावे तो फेर आवे ना
- बावळी गादड़ी के पकड़े कान - ना छोडे जां, ना पकड़े राखे जां
- बारह बरस में तो कुरड़ी के भी भाग बाहवड़ आया करैं
- बिटोड़े में तै गोस्से ए लिकड़ैंगे
- बिन फेरयां का खसम ....
- बुलध ना ब्यावै तै के बूढ़ा-ए ना हो ?
- बूढ़ा मरो चाहे जवान, हत्या-सेती काम
- लखमीचंद ने कहा – बुलहद सींग का, मरद लंगोट का - बाऊ नाई का जवाब – बुलहद काँध का, मरद जुबान का !
- बेईमान की रुखाळ और आँख में बाळ - दोनूं करड़े काम सैं
- बोवो गेहूं काट कपास, ना हो डळा ना हो घास (Related to agriculture)
- बिली ढूध की रुखाली
- भांग मांगै भूगड़ा, सुल्फा मांगै घी - दारू मांगै खोंसड़ा (जूता), थारी खुशी पड़ै तै पी
- भीड़ मै डळा फद्दू कै-ए लाग्या करै
- “भुस में आग ला कै दमालो दूर खड़ी”
- भूखे की बाहवड़ जाया करै पर झूठे की ना बाहवड़्या करती
- भूआ जाऊं-जाऊं करै थी, फूफा लेण आ-ग्या !
- भोई-रै भोई, तन्नै रही-सही भी खोई
- भोळा बूझै भोळी नै – के रांधैगी होळी नै - मोठ बाजरा सब दिन रन्धैं सक्कर चावळ होळी नै (On the occasion of Holi festival)
- भैंस आपणे रंग नै ना देखै, छतरी नै देख कै बिधकै
- भादवे का घाम अर साझे का काम देहि तोडा करे (bhadva i.e desi calender month)
- भीत में आला अर, घर में साला ठीक ना होते
म
- मर-गी रांड खटाई बिना ! (To demand exceptional items)
- मंगळ करै दंगळ, बुध बिछोह हो, जुमे रात( वीरवार) की खीर खा कै, जुमे(शुकरवार) को जाणा हो
- मारते माणस का हाथ पकड़ ले...बोलते की जुबान ना पकड़ी जा
- मार कै भाग ज्या, अर खा कै सो ज्या - कोई ना पकड़ सकै
- मार पाछै किसी पुकार
- मरोड़ मैं तै करोड़ लागैंगे
- मति मारी जाट की, रांघड़ राख्या हाळी - वो उसनै काम कहै, वो दे उसनै गाळी The Jat has acted foolishly by keeping a ranghar (notorious member of society) as his farm worker, each time he tells him to work, the ranghar retorts by abuses.
- मींह में मूसळ का के भीजै सै
- मूसे नै पा-गी हल्दी की गांठ - पंसारी ए बण बैठ्या
- मूसे नै पा-गी खाकी कात्तर, वो-ए थाणेदार बण बैठ्या
- मूसे नै पा-ग्या सूआ, डाक्टर-ए बण बैठ्या
- मूंगफली ऊपर पानी पी ल्यो, खांसी हो ज्यागी - काणे गैल्यां ब्याह कर ल्यो, हांसी हो ज्यागी
- मां तै तरसै चौथी-चौथी नै, बेटी बिटौड़े के बिटौड़े बक्शै
- मान ले तो आपकी भी, ना मानै तो बाप की भी
- मां पै पूत पिता पै घोड़ा, घणा नहीं तै थोड़ा-थोड़ा
- मुल्ला की दौड़ मसिजद ताही
- मीठे के लोभ में जम के गेर दिए
- महकार कुन्धरे जितनी भी कोना नाम धरवालिया गुलाबो.महकार (Fragrance),कुन्धरे(kind of veg.)
- माँ री मामा आया, बोला भाई तो मेरा ए ना है
- मिन्द्की क जुखाम होना
य
- या जुबान तो कह के भीतर बड जा फेर यु चाम बाहर पिटू जा
- यौवन लुगाई का बीस या तीस और बैल चलै नौ साल - मरद और घौड़ा कदे हो ना बूढ़ा, जै मिलता रहवै माल (खुराक) (Youth of a woman is 20 or 30, the ox remain active till 9 years, but man and horse, if given good diet, never get old)
र
- रांड तै रंडापा काट ले, रंडवे काटण दें जिब ना
- रांड तै वा हो सै जिसके मर-ज्यां भाई - खसम तै और-ऐ ना कर ले !
- रोता-सा जा, मरयां की खबर ल्यावै
- राम उसका भला करै, जो अपणा काम आप करै
- रै नाई-के, मेरे बाल कितने बड्डे सैं? - यजमान, ईब तेरै आगै-ए आ ज्यांगे !
- रूप रोवै, करम खावै
ल
- लीपण का ना पोतण का, गू कुत्त्यां का !
- लोभ लाग़या बाणिया,चूंडे लागी गाण
- लीख (ढेरे) तैं ले कै किमैं सीख - इसकी टांट नै गंजी कर दे !
- लङै बरोबर रोवे बाध
व
श, ष, स
- शान्ति-हे शान्ति ! गधे चरांती - एक गधा लंगड़ा, वो-ए तेरा बंदड़ा !
- शेरां के हाथ-मुंह किसनै धोए ..
- शेर का भाई बघेरा - वो कूदै नौ, और वो कूदै तेराह !
- शिकार के वक्त कुतिया हगाई फिरै (आग लगने पर कुंआ खोदना)
- शराबी के दो ठिकाने - ठेके पै जावै या थाने
- साझे का मारै काम और भादवे का मारै घाम
- साझे की होळी नै कोए बी जळा ज्या
- सूखा कसार खा-कै तै इसे-ए सपूत जामे जांगे
- सूधी छिपकली घणे माछर खावै
- सू-सू ना कहै, सुसरी कह दे ("Please be straightforward")
- सौ दिन चोर के, एक दिन शाह का
- सयाना कौआ गू खाया करे
- साची कहना सुखी रहना, झूठ बोले खीचा खीचा फिरे
ह
- हाळी का पेट सुहाळी खा-कै ना भरै
- हारे ओड़ कै दो लठ फालतू लाग्या करैं
- हांडी का छो बरोली पै
- हाँसी में हो-ज्या खाँसी
- हँसी-हँसी में हसनगढ़ बस-ग्या
- हाथ ना पल्ले, मियॉ मटकताऐ चाले
- हाग्या जा ना पेट पीटे
- हाथी-घोड़े बह-गे अर गधी बूझै पाणी कितना ?
- हेजली के बाळक ना खिलाने चाहियें अर च्यातर का काम ना करना चाहिये
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