माँ
मनै सुवा सुखे , मे खुद गीले मे सोती ।
चोट लागती मेरे ,आखँ माँ तेरी रोती ।
अपना दर्द किसते बताया कौना ।
सोगी भुखी, खाली पतिला दिखाया कौना ।।
आप सोगी गुदङ मे, मुहँ दबाकै ।।
रात कई जाग-- जाग कै गुजारी थी ।
आखँ खुल जा ना मेरी, कदै ना पुकारी थी ।।
गले के गहने बेच करवा दी पढाई।
... खाली गदर्न कदै ना माँ दिखाई ।।
हौसला मेरा ईब माँ, नयु टुटन लगा ।
टोटा ना गया ,सब का साथ छुटन लागा ।
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