हेरी मत मरवा मेरी माँ , मैंने दुनिया में आलिणदे !
हेरी ......
माँ मैं चाहूँ सूं दुनिया देखना,हेरी मैंने लोग कहेंगे मुनिया !
माँ मैं पहनू फट्टा पुराना, मैं ना मांगु बढ़िया खाना !
हेरी मैं ना मांगु पकवान, बच्या खुच्या जैसा भी खालिणदे !
हेई मत मरवा .......
माँ एक बे छाती के ला ले , माँ मेरे भी लाड लडाले!
हेरी ममता का गला मत घोटे , प्यार की प्यास बुझा लिणदे !
हेई मत मरवा ....
माँ में पढ़न मंदरसे जांगी, माँ तेरे घर के काम कर जांगी !
हेरी पढ़ लिख बनू विद्वान , मैंने भी कर्ज चुका लिणदे !
हेरी मत मरवा......
माँ मैं पढूं वेद और गीता, माँ मैं बनुगी राम की सीता !
पर न दूंगी अग्नि परीक्षा, मैंने भी कर्ज चुका लिणदे !
हेरी मत मरवा....
माँ चाहे आधी रात जगाइए, माँ चाहे दुःख सुख की बतलाइए !
माँ आउंगी बखत पे काम, मैंने भी फर्ज निभा लिणदे !
हेरी मत मरवा ......
माँ तू फुल्ली नही समावे, जिस दिन उर्मिल मैडल लावे !
माँ तेरा नही लज्जाऊँ दूध, वतन पे जान खपा लिणदे !
हेरी मत मरवा ....
माँ हर औरत बेटा चाहवे , बिन बेटी बहु न आवे !
माँ मैंने बहु बना के भेज, सास के पैर दबा लिणदे!
हेरी मत मरवा...
माँ मैं बण जांगी मदर ऐ रेखा, माँ मैं नही कमाऊँ पैसा !
करूँ दीन दुखिया का ख्याल, मैंने भी पुण्य कमा लिणदे!
हेरी मत मरवा मेरी माँ ........
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