Monday 27 May 2013
Wednesday 22 May 2013
हरयाणवी पहेलिया-2
101. चिडपडा पर गुड कोणी , लंबा स पर बांस कोणी , ज़िंदा स पर सांस कोणी , लड़ जावे पर सांप कोणी !
102. काला झोटा भाज्या आवे , नाशां में धुम्मा, काला चोथ बगावे!
103. गोसे मेरा खाना , काला मेरा बाना , कदे ना में लड्या , कदे ना में भिड्या, फेर भी बतावें हारा!
104. दो तोरी , मुंह तागा , खुल जावें तो, मेमने भागां !
Sory bhaiya!! Wrong number.
Gf: hello...
Bf: Haan jaan
Gf: jaanu mere kapde khatam ho gye hai or mere pass Paise b ni hai....
Bf: pagal ladki, abi tera boyfrnd zinda hai na, chalo shopping krte hai....
.
काश! तुमने फ्रिज और खोलकर देख लिया होता
दो महिलाओं की मुलाकात स्वर्ग में हुई.
पहली - कहो बहिन, तुम्हारी मौत कैसे हुई ?
दूसरी - ज्यादा ठण्ड लगने के कारण. और तुम्हारी ?
पहली - हाई ब्लड प्रेशर के कारण. बात दरअसल यह
हुई कि मुझे अपने पति पर शक था. एक दिन मुझे पता चला कि
कल की लडकी आज बहु बन गई.
एक लडकी ससुराल चली गई,
कल की लडकी आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लडकी,
अब ससुराल की सेवा करती बन गई.
कल तक तो ड्रेस और जीन्स पहनती लडकी, आज साडी पहनती सीख गई.
पियर मेँ जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लडकी, आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लडकी, आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन टाईम फुल खाना खाती लडकी, आज ससुराल मेँ तीन टाईम का खाना बनाना सीख गई.
कल की लडकी आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लडकी,
अब ससुराल की सेवा करती बन गई.
कल तक तो ड्रेस और जीन्स पहनती लडकी, आज साडी पहनती सीख गई.
पियर मेँ जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लडकी, आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लडकी, आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन टाईम फुल खाना खाती लडकी, आज ससुराल मेँ तीन टाईम का खाना बनाना सीख गई.
मैं जेल से तेरी इतनी ही मदद कर सकता हूँ..
एक बार एक किसान ने जेल में बंद अपने बेटे को पत्र लिखा...
" बेटा मुझे खेतो में आलू बोने है लेकिन में बुड्डा हो गया हूँ इसलिए खेतो में खुदाई नहीं कर पा रहा हूँ..काश की तू यहाँ होता तो हम मिलकर आलू बो देते...अब मुझे अकेले ही पूरा खेत खोदना पड़ेगा.."
" बेटा मुझे खेतो में आलू बोने है लेकिन में बुड्डा हो गया हूँ इसलिए खेतो में खुदाई नहीं कर पा रहा हूँ..काश की तू यहाँ होता तो हम मिलकर आलू बो देते...अब मुझे अकेले ही पूरा खेत खोदना पड़ेगा.."
अगर पढ़ते तो पत्नी निचे न रहती..
एक बन्दे की पत्नी स्टेशन पर रह गई क्यूकी वो पहले चढ़ गया...
ट्रेन मे अब वो बड़ा बेचैन की पत्नी निचे रह गई
बगल मे बैठे आदमी ने कहा- रामायण पढ़ते हो..?
बन्दे ने
ट्रेन मे अब वो बड़ा बेचैन की पत्नी निचे रह गई
बगल मे बैठे आदमी ने कहा- रामायण पढ़ते हो..?
बन्दे ने
बैंकवाले ड्रायविंग लायसेंस माँगते हैं
ट्रेफिक हवलदार - लायसेंस बताओ!
चालक - नहीं है साब!
ट्रेफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रेफिक हवलदार - क्यों?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
चालक - नहीं है साब!
ट्रेफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रेफिक हवलदार - क्यों?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
Tuesday 21 May 2013
छुटी के दीन पूरे होगे .......................haryanvi ragni by MEHAR SINGH
छुटी के दीन पूरे होगे , हे रेए फिकर करण लगया मन ए में
हे रेए बाँध बिस्तरा चाल पड्या, के बाकी रहगी मन ऐ में दखे मात मेरी ने सिर पुचकारा, जीने पालया पोस्या जाम्या था !
चालान की भाई बाट देख मेरा भाई रोया रामभ्या था !
हे रेए बाँध बिस्तरा चाल पड्या, के बाकी रहगी मन ऐ में दखे मात मेरी ने सिर पुचकारा, जीने पालया पोस्या जाम्या था !
चालान की भाई बाट देख मेरा भाई रोया रामभ्या था !
घडी ना बीती... ना पल गुजरे ... एक उतरया जहाज शिखर तै रै ...............haryanvi ragni by Fauji kavi mehar singh
घडी ना बीती... ना पल गुजरे ... एक उतरया जहाज शिखर तै रै
घडी ना बीती... ना पल गुजरे ... एक उतरया जहाज शिखर तै रै
हे रै बरसण लाग्गे फूल बोस पै ... जिब हाथ मिल्या हिटलर तै रै
घडी ना बीती... ना पल गुजरे ... एक उतरया जहाज शिखर तै रै
हे रै बरसण लाग्गे फूल बोस पै ... जिब हाथ मिल्या हिटलर तै रै
हेरी मत मरवा मेरी माँ ......haryanvi ragni by Rambhateri
हेरी मत मरवा मेरी माँ , मैंने दुनिया में आलिणदे !
हेरी ......
माँ मैं चाहूँ सूं दुनिया देखना,हेरी मैंने लोग कहेंगे मुनिया !
माँ मैं पहनू फट्टा पुराना, मैं ना मांगु बढ़िया खाना !
हेरी मैं ना मांगु पकवान, बच्या खुच्या जैसा भी खालिणदे !
हेई मत मरवा .......
हेरी ......
माँ मैं चाहूँ सूं दुनिया देखना,हेरी मैंने लोग कहेंगे मुनिया !
माँ मैं पहनू फट्टा पुराना, मैं ना मांगु बढ़िया खाना !
हेरी मैं ना मांगु पकवान, बच्या खुच्या जैसा भी खालिणदे !
हेई मत मरवा .......
kis-kis key dukh door karoon...............Haryanvi Ragni
Sukh Thode Dukh Ghane Jagat Mai, Bhoge Kasst Sarre Raani.
Kis-Kis key dukh door karoon, yo duniya dukhi firre raani.
Baalam baala maah mai paala, khunda faala dukhi kare.
bheet mai aala paachit mai khaala, ghar mai saala dukhi kare.
thotha naala aave tivaala, bigda taala dukhi kare.
paahn mai chaala daal mai kaala, aankh mai jaala dukhi kare.
kharch khudhala dukhi kare, jib karja dukhi kare raani !1!
kis-kis key dukh door karoon.....................................
Kis-Kis key dukh door karoon, yo duniya dukhi firre raani.
Baalam baala maah mai paala, khunda faala dukhi kare.
bheet mai aala paachit mai khaala, ghar mai saala dukhi kare.
thotha naala aave tivaala, bigda taala dukhi kare.
paahn mai chaala daal mai kaala, aankh mai jaala dukhi kare.
kharch khudhala dukhi kare, jib karja dukhi kare raani !1!
kis-kis key dukh door karoon.....................................
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...Haryanvi lok Geet by Mehar Singh Fauji
हे करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी होहो हो परदेसी ... गैल मेरे भी बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी होहो हो परदेसी ... गैल मेरे भी बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी ... गैल मेरे भी, बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी होहो हो परदेसी ... गैल मेरे भी बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी होहो हो परदेसी ... गैल मेरे भी बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
हो परदेसी ... गैल मेरे भी, बांध क्योंना हाड लेग्या ...
करकै घाल तडपती छोडी ... ज्यान क्योंना काढ लेग्या ...
सबकी कब्र खोद द्यूंगा
घुग्घू कब्र खोदण का काम कर्या करदा था। एक बर इसा होया अक गाम म्ह दो-तीन साल बरसात कोनी होई तो धरती करड़ी होग्यी अर घुग्घू नै कब्र खोददी हाण घणा जोर लगाणा पड़दा। एक दिन गाम म्ह खूब बरसात होई तो घुग्घू सरपंच धौरे गया अर बोल्या, सरपंच साब गाम म्ह रुक्का मरवा द्यो अक सारे गाम आले आकै अपणी कब्र का माप दे जावैं, इब धरती नरम होरी सै सबकी कब्र खोद द्यूंगा।
मुँह दुक्खै सै
एक बै फत्तू खेत म्ह रेडियो सुणे था। रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी, बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह... फत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या सै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया सै। फत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या - दूर-दूर की बताण लाग री सै, लवै नाका टूट्या पड़या सै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै सै।
घर के आग्ये
नत्थू के परिवार की घग्गु के परिवार गेल लड़ाई हो रह्यी थी ज्यांते उनकी बोलचाल जमा ख़तम हो रही थी | एक बार घुग्गू का दादा मरग्या | जब घुग्गू के दादा ती श्मशान में ले जावे थे तो रास्ते में नत्थू का घर पड़े था | नत्थू लट्ठ लेके घर तै बहार आग्या अर घुग्गू ती बोल्या "थाहरे ती न्यू कह्या थे की थाह्म म्हारे घर के आग्ये को न आ ज्य़ाइयो | आज थारी हिम्मत किस तरियां होगी ?" घुग्गू बोल्या "हिम्मत दिखाने की जिद्द म्ह ए तो हाम्म आज अपणे दादा की नाड़ मोस कै ल्याए सां | म्हारे इस तरियां चाहे कितने आदमी लाग ज्य़ाइयो पर हाम्म थाहमने अपणी हिम्मत दिखाकै ए मान्नंगे" |
कम जोर दिल धापली
धापली जमां कमजोर दिल की थी | एक वा घर तै साइकिल पै सवार हो के चल पड्यी | घर तै लिकडके थोड़ी सी देल पाच्छे धापली का घर पे फ़ोन गया | घरक्या ने बेरा लग्या के धापली का एक्सिडेंट अर वा अस्पताल में दाखिल सै | एक्सिडेंट में एक की मोत होग्यी | धापली का बाब्बू भाज्या भाज्या अस्पताल में पहुंच्या | उसती धापली ठीक ठाक दिखी तो उसनें उसपे पुच्छ्या, 'बेटी तेरा एक्सिडेंट क्यां गेल होग्या अर कोण मरग्या?' कमजोर दिल धापली हांफती -हांफती बोल्यी, 'बाब्बू, मेरी साइकिल की टक्कर एक मकोड़े गेल हो होग्यी अर मकोड़ा टक्कर लागदे ए मरग्या | मैं तो पुलिस तै डरदी बेठ्यी सूं' |
दिमाग दान करणा चाहूँ सूं
फत्तू शहर मैं अस्पताल गया अर डागदर धोरे जागे बोल्या - "डागदर साब मैं मरयां पाच्छै मेरा दिमाग दान करणा चाहूँ सूं |" तो डागदर कोणसा कम था, पड़दाए बोल्या - "ठीक सै, अरजे ओगा तो हम जरूर ले ल्यांगे |"
सारी ओक्सीजन तो बाबा रामदेव
सत्तू सबेरे उठ कै अपणा बाप्पू ते बोल्या - "बाप्पू जी, जब मैं सबेरे नौ बजे सौ कै उठूँ तो मन्ने साँस लेण मैं घणीए तकलीफ ओवे सै, मैंने डाकदर कै दिखा ल्या" | तो सत्तू का बाप्पू बोल्या - "बेटा तों सबेरे तवलाए उठ जाया कर, क्योंकि सारी ओक्सीजन तो बाबा रामदेव अर उसके चेले खीँच लेवै सें| "
आदमी गलती करके
एक दिन सत्तू आपणें यार रलदू ती पुच्छण लग्या, "रलदू जो आदमी गलती करके अपणी गलती की माफी मांग ले उसती के कहणा चाहिए ? " रलदू बोल्या भाई, "उस आदमी ती तो समझदार कहणा चाहिए |" सत्तू ने रलदू पै दुबारा पुच्छया, "यार रलदू न्यू बता जिस आदमी नैं कोई गलती भी नीं करी हो पर वो फेर भी माफी मांगता फिरदा हो उस आदमी ती के कह्वागें ?" रलदू बोल्या, "भाई इस्या आदमी तो घरआली का गुलाम ही हो सकै सै |
शर्म नीं आई
भुंडू अपणी घरआली धापली ती ल्याण खातर सुसराड चल्या गया | जद वो धापली ती लेके अपणी सुसराड तै चाल्लण लग्या तो उसकी सासु नैं जुहारी म्ह उस ताई दस रपिये दे दिए | घरां आयां पाच्छे भुंडू धापली गेल झगड़ा कारन लाग्या अर कई देर तेन झगड़ता रह्या | आखिर में धापली तंग होकै भुंडू ती पुच्छण लाग्यी, 'जी थाम मेरै गेल क्यान्तें झगड़ण लाग रह्ये सो?' भुंडू छोह मैं आगे बोल्या, "तेरी मां मैं शर्म कोणी आयी |" धापली ने पुच्छ्या, ""किस बात की शर्म?" भुंडू बोल्या, "मैं थाहरे घरां केले तो सो रापियाँ के लेके गया पर तेरी मां ने जुहारी म्ह रपिये दे दिए |" धापली तपाक ती बोल्यी, "जी मन्ने न्यूं बताओ अक थाह्म ओड़े मन्ने लेण गए थे अक केले बेच्चण गए थे |"
घणीए रात होग्यी
एक बार रलदू आपणे छोरे की सुसराड चल्या गया | रात नैं जद वो रोटी खा कै बैठक म्ह जाण लग्या तो उसकी समधण नैं कोई बात छेड़ दी | रलदू बात करदा करदा किवांडा धोरै सांकल पकडके खड्या होग्या | जद उननैं बात करद्या नैं कई बार हो गी तो भरपाई ने सोच्या अक इब तो समधी जमां थक लिया होगा | या बात सोच के भरपाई अपणे समधी ती बोल्यी, 'समधीजी, जाओ सो ज्यायो | इब तो घणीए रात होग्यी|' रलदू भरपाई ती बोल्या, 'समधण, मैं तेरी बतला खातर कोणी खड्या | मेरी तो सांकल में आंगली फँस रह्यी सै |'
निम्बू पाणी मैं जीरा
ताऊ बदलू के 6 छोरे थे | वे 6 के 6 जमां काले थे | एक बार वे सारे गम के जोहड़ में नहाण लाग रहये थे | ताऊ बदलू उन्ती देख देख के राजी होरया था | ताऊ उन्ती देखदा देखदा अपणे धोरे खड़े भुंडू ती बोल्या - "देख मेरे छोरे !", भुंडू बोल्या - "हाँ ताऊ देखे, जाण नीम्बू पाणी में जीरे के बुँदे हुए होए दाणे तैरण लाग रै सै |"
लाश का कै करूँ
भतेरी के ब्याह तै दो दिन पाछे भतेरी कि अपणे घरआले सत्तू गेल लड़ाई होग्यी | भतेरी ने अपणे मायके अपणी माँ फोन करया अर बोल्यी , "माँ मेरी मेरे घरआले गेल लड़ाई होग्यी अर थोड़ी सी लड़ाई तै बात बढती - बढती घणी बढ्गी |" भतेरी कि माँ बोल्यी, "या कोई "
पजामा पड़ग्या
रामलू अपणी घरआली धापली से घणा डरया करे था | एक दिन रामलू सीढ़ी पै चढ़के अपणे घरां बल्ब लगावे था तो एक दम सीढ़ी पड्ग्यी अर रमलू भी परे जाकै पड्या | धापली कै नुकसान का ब्होत डर रह्या करै था | जद उसती घडाम कि आवाज आयी तो वा रामलू ती बोल्यी - "के गेड दिया?" रामलू डरदा-डरदा बोल्या - "किमे नी भागवान, मेरा पजामा पड़ग्या था |" धापली बोल्यी - "पजामा पड्या करे सै तो इतनी आवाज आया करै सै कै" | रामलू बोल्या - "भागवान पजामे मैं भी था |"
मैं उसका बाप कोनी
एक बै रलदू एक पार्टी में चला गया | रलदू अपणे धोरे एक आदमी ने बोल्या - के जमां अग्या सै, सामने जो छोरा बैठ्या सै, उसके लते देख, जम्मा छोरी बर्गा लागये सै | वा छो मैं आ के बोल्या - भाई साहब, आप न्यू क्यूकर बोलण लाग रे सो, वा तो मेरी छोरी सै | रलदू बोल्या भाई मैंने माफ़ करयो, मन्ने नी बैरा था कि अक तै उसका बाप सै| इतनी बात सुनके वा और भी गुस्सा होया अर बोल्या - तन्ने तो वास्तव में तमीज कोनी, मैं उसका बाप कोनी माँ सूं |
दांत खो बेठ्या
भतेरी घणा दिना पाच्छे अपणी सहेली तै मिली अर बोली - "हाँ, सहेली शादी के बाद साब ठीक ठाक चल रह्या
सै | अर जो थम बताया करदी थी के थारा घरआला थामनै दांतों से काट खाया करदा, इब तक थारा घरआला वो
आदत खो बेठ्या कि ना |" भतेरी कि सहेली बोली - "आदत तो कोणी खोई , पर हाँ अपणे दांत जरूर खो बैठे सै |"
सै | अर जो थम बताया करदी थी के थारा घरआला थामनै दांतों से काट खाया करदा, इब तक थारा घरआला वो
आदत खो बेठ्या कि ना |" भतेरी कि सहेली बोली - "आदत तो कोणी खोई , पर हाँ अपणे दांत जरूर खो बैठे सै |"
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